जिला अस्पताल में नहीं थम रहा लापरवाहियों का सिलसिला
वैसे तो दमोह जिला अस्पताल हमेशा ही अपनी करगुजारियों और कर्मचारियों के रवैए के चलते चर्चाओं में बना रहता है, अभी हाल ही में प्रसव के बाद चार महिलाओं की मौत पर जिला अस्पताल सहित जिले की जमकर बदमानी के दाग धुले ही नही थे कि बार फिर ऐसा ही मामला देखने मिला, जिससे लगता है अस्पताल प्रबंधक को बदनामी के दाग अच्छे लगने लगे हों।दरअसल शुक्रवार की दोपहर प्रसव पीड़ा से तड़फ रही जबेरा के सगरा गांव की महिला इलाज कराने आई, जिसे डॉक्टर ने प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने या फिर मेडिकल कॉलेज रेफर करने का बोलकर अस्पताल के बाहर का रास्ता दिखा दिया,परिजनों के अनेक मिन्नतें करने के बाद अस्पताल स्टॉप ने महिला को अस्पताल में दाखिल किया।जिला अस्पताल में प्रसव पीड़ा से तड़प रही ममता राठौर पति हरिराम राठौर ने बताया कि ममता को प्रसव पीड़ा होने पर आशा कार्यकर्ता और परिजन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां उपस्थित स्टाफ द्वारा बिना किसी जांच के ही उन्हें पहले तो प्राइवेट अस्पताल जाने की सलाह दी, फिर उसे जबलपुर रेफर कर दिया गया। प्रसव पीड़ा जोरो से होने के बावजूद ऐसी आपातकालीन स्थिति में परिजन जैसे ही प्रसूता को प्राइवेट अस्पताल ले जाने लगे वैसे ही गेट के बाहर निकले कि आंशिक रूप से गर्भस्थ शिशु के अंग बाहर दिखने लगे। इतने पर भी वहां उपस्थित स्टाफ ने उसे चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध नहीं कहकर ऑपरेशन से मना करते रहे। और बार-बार मिन्नतें करने के बाद आखिरकार स्टाफ का दिल पसीजा और सीजर ऑपरेशन के लिए तैयारी की गई।
चार प्रसूताओं की मौत के बाद जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही एक और प्रसूता
जिला अस्पताल में प्रसव के बाद बारी-बारी हुई चार महिलाओं के मौत के मामले के बाद एक और मामला सामने आया है। एक जुलाई को जिन महिलाओं के प्रसव हुए। उनमें से एक और महिला की हालत नाजुक है, जो जबलपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। परिवार के लोग शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर से महिला के बेहतर इलाज और लापरवाहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। कलेक्टर मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। उनका कहना है कि मामला काफी गंभीर है। एक दो दिन में जांच पूरी हो जाएगी। इसके बाद जो दोषी पाए जाते हैं। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दरअसल जिले के मंगोलपुर निवासी श्रीराम पटेल की बहू भारती पटेल जबलपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। ससुर ने बताया कि 30 जुलाई को बहू को प्रसव कराने अस्पताल में भर्ती किया था। एक जुलाई को सर्जरी से प्रसव हुआ। आपरेशन बिगाड़ दिया, जिससे बहू का स्वास्थ्य खराब हो गया और उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया । तब से उनकी बहू जबलपुर मेडिकल कॉलेज में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है। कलेक्टर सुधीर कोचर ने जबलपुर मेडिकल कालेज में बात कर बताया कि महिला की हालत पहले से बेहतर है। वह रिकवर कर रही है। यदि एयर-लिफ्ट करने की भी जरूरत होगी, तो वह करेंगे। उन्होंने कहा कि चार महिलाओं की मौत का मामला काफी गंभीर है। इस में जो जांच चल रही है ,उसकी रिपोर्ट एक-दो दिन में आ जाएगी। उन्होंने कहा कि मामला टेक्निकल है, जिसमें स्वास्थ्य संबंधी विशेषज्ञ के माध्यम से जांच की जा रही है, इसलिए इसमें जल्दबाजी नहीं कर सकते। जांच म़े जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
प्रसूताओ के निधन के मामले की जाँच चल रही है, जाँच विषय विशेषज्ञ कर रहे हैं-कलेक्टर श्री कोचर
कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने कहा हाल ही में दमोह में प्रसूताओं के निधन का मामला सामने आया है, उसकी जांच चल रही है, जांच विषय विशेषज्ञ कर रहे हैं। डॉक्टर धरती पर भगवान का रूप होते हैं, जो की सभी जानते हैं, डॉक्टर का काम मरीजों की जान को बचाना है, मरीजों की जान को बचाने के लिए दिन-रात काम करते हैं। इस तरह की जब घटनाएं होती हैं और उन पर जांच के दौरान ही आक्षेप-प्रत्याक्षेप लगते हैं, ऐसी स्थिति में डॉक्टर का मनोबल नीचे गिरता है।
कलेक्टर कोचर ने कहा प्रसूताओं के मामले में पूरी जांच चल रही है, जांच को पूरा हो जाने दीजिए, जांच के रिजल्ट आने दीजिए, हमको किसी को भी तब तक या किसी भी स्थिति में किसी प्रकार से इस तरह का माहौल बनाने का हक नहीं है, जिससे डॉक्टरो का मोरल डाउन हो और ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स को ऑपरेशन करने में दिक्कत पैदा हो, क्योंकि जिला अस्पताल में, दूसरे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में और डिलेवरी सेंटर्स पर बहुत बड़ी तादाद में लोग जाते हैं, आम आदमी जाते हैं, गरीब व्यक्ति जाते हैं, ऐसी स्थिति में यदि डॉक्टर का मनोबल गिरता है, तो उसका सीधा प्रभाव चिकित्सा पर पड़ेगा। इसलिए मेरा आप सभी से आग्रह है, कि डॉक्टर्स का मनोबल बिल्कुल नहीं गिरना चाहिए, उनको उनका काम करने दिया जाए, वह लगातार काम कर रहे हैं, अभी भी ऑपरेशन थिएटर में ऑपरेशन लगातार हो रहे हैं।
उन्होंने कहा जांच प्रचलित है, इसलिए किसी प्रकार के वाद विवाद या निष्कर्ष निकालने का कोई मतलब नहीं है और किसी पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का भी कोई मतलब नहीं है। सभी को अपना काम करने दिया जाए, ताकि हम मरीजों के स्वास्थ्य और मरीजों की जान के साथ पूरा न्याय कर सकें और सभी को स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकें।
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