दमोह - जिले की एक पंचायत ऐसी भी है जहां के स्कूली बच्चे दो फीट गहरे कीचड़ में से होकर स्कूल जाने की जिद कर रहे हैं। जिस रास्ते से इन्हें स्कूल जाना है उसे देखते ही शायद कोई इस रास्ते पर जाने की सोचे? इसे इन बच्चों की स्कूल जाने की दिलचस्पी कहें, मजबूरी कहें या फिर पंचायत की निष्क्रियता, लेकिन इन बच्चों को इन सभी चीजों से कोई सरोकार नहीं है। फिर भी ये बच्चे इस कीचड़ में हाथ में चप्पल, कंधे पर बैग और पूरी ड्रेस कीचड़ से सनी होने के बावजूद भी स्कूल जा रहे हैं। बच्चों की स्कूल जाने की जिद को देख परिजन भी मजबूर हैं और वे अपने बच्चों को गोद में बिठाकर स्कूल तक छोड़ने जाते हैं और फिर इसी तरह वापस आते हैं ताजा मामला दमोह जिले के बटियागढ़ जनपद पंचायत अन्तर्गत ग्राम पंचायत मेनवार के मोटेहार का है जहा पर 15 परिवार के 40,50 लोग निवासरत है लेकिन यहां के लोग बिना सड़क के जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यदि सड़क नहीं है तो ग्रामीणों को आवागमन में कोई परेशानी न होती हो, बल्कि यहां इतना कीचड़ है कि व्यक्ति दो फीट तक कीचड़ में धंस जाए।इसी मार्ग से प्रतिदिन छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है। स्कूल जाने के लिए इन्हें बकायदा हाथ में चप्पल, कंधे पर किताबों से भरा बस्ता और फिर कीचड़ से होकर स्कूल जाने का सफर तय करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि सभी बच्चे इस मार्ग को पार कर लेते हैं कुछ तो कीचड़ में फंस जाने के डर रास्ते से ही लौट जाते हैं। स्कूल के बच्चो का कहना है की हम लोगो को प्रतिदिन कीचड़ से होकर स्कूल जाना होता है और हाथ में चप्पल और पीठ पर बैंग लादकर जाते है और ड्रेस भी गंदी हो जाती है।
1किमी मार्ग पैदल चलना किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं :-
यदि कोई यहां बीमार हो जाए तो मुख्य मार्ग तक जाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बीमार व्यक्ति को परिजनों के द्वारा चारपाई के सहारे ही मुख्य मार्ग तक लाया जाता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को जननी वाहन का लाभ नहीं मिल पाता है। बीमार व्यक्ति तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। मानो जैसा की यह गांव आज भी आजाद होते हुए भी गुलामी की जंजारो से बंधा हो।
0 टिप्पणियाँ