पथरिया - दमोह जिले के अंतर्गत आने वाली जनपदों की ग्राम पंचायतों में इन दिनों जीएसटी के नाम पर फर्जी वेंडरों की भरमार है और यह वे वेंडर हैं जिन्होंने ना तो कहीं भी किसी भी प्रकार की कोई दुकान खोली हुई है और ना ही यह किसी भी प्रकार की सामग्री की खरीदी या विक्रय करते हैं। यह सिर्फ जीएसटी के नाम पर अपनी दुकानदारी घर बैठे चलाते हैं, जो ग्राम पंचायतों में कमीशन के आधार पर बिलिंग करते हैं। जिले में ऐसे सैकड़ो वेंडर चल रहे हैं जिन्होंने सिर्फ जीएसटी लेकर बिल बुक प्रिंट कराई हुई है और ग्राम पंचायत सरपंचों सचिवों को वह बिल बुकें सौंप रखीं हैं, जिससे ग्राम पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्यों के नाम पर मनमानी सामग्री दर्शा कर मनमानी बिलिंग सरपंच सचिव स्वयं कर सकते हैं सिर्फ वेंडर के लिए उसको उसका कमीशन देना होता है।
अमेजॉन और फ्लिपकार्ट से बढ़कर ये वेंडर
बता दें कि जिले में सक्रिय इन वेंडरों की बिल बुक पर सभी प्रकार की सामग्री के बिल ग्राम पंचायत में लगाए जाते हैं, चाहे वह हार्डवेयर की हों इलेक्ट्रॉनिक के हों, रेत, गिट्टी, ईंट सीमेंट, परिवहन, इत्यादि सभी प्रकार की सामग्री के बिल एक ही बिल बुक पर लग जाते हैं यहां तक की डीजल तेल का भी बिल इनके द्वारा ग्राम पंचायत को जारी कर दिया जाता है और जिले में ऐसे सैकड़ो की संख्या में वेंडर सक्रिय हैं जिस पर ना तो कभी बिल पास करने वाले अधिकारी ध्यान देते हैं और ना ही जिला प्रशासन जिस वजह से यह फर्जी विलिंग का धंधा लगातार बढ़ता ही जा रहा है और जिले में वेंडरों की संख्या में भी काफी इजाफा हो रहा है।
नहीं है कोई दुकान सिर्फ जीएसटी के नाम पर धंधा
ज्यादातर वेंडरों की कोई दुकान कहीं पर स्थित नहीं है सिर्फ इन्होंने जीएसटी ले रखी है और मनमानी बिल्डिंग कर ग्राम पंचायतों में भारी भरकम बिल कमीशन के आधार पर लगाए जा रहे हैं, अब आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि जिन वेंडरों की कोई दुकान ही कहीं स्थित नहीं है बता दें कि वह कभी किसी सामग्री का क्रय किसी फैक्ट्री या थोक दुकानों से नहीं करते, तो वह उस सामग्री का विक्रय कहां से करते होंगे यह सिर्फ बिल बनाकर ग्राम पंचायत को देते हैं। जिससे ग्राम पंचायत सरपंच सचिव इन फर्जी बिलों के आधार पर नए-नए भ्रष्टाचारों को अंजाम दे सकें, जिससे जहां एक ओर ग्राम पंचायत में कागजों में निर्माण कार्य चलते हैं और पंचायत में होने वाले विकास कार्य धरातल पर नहीं दिखाई देते तो वहीं दूसरी ओर सरकार का भी काफी नुकसान होता है क्योंकि सरकार निर्माण कार्यों के लिए लाखों करोड़ों की राशि जारी करती है लेकिन वह निर्माण कार्य या तो धरातल पर नहीं होते और यदि होते ही हैं तो उनका घटिया निर्माण होता है यदि ग्राम पंचायत में लगने वाली बिलों के समस्त वेंडर्स की जांच हो जाए तो भ्रष्टाचार के एक बड़े काले चिट्ठे का खुलासा हो सकता है।
इनका कहना है 👇
उक्त मामले में सीईओ जिला पंचायत से बात करते हैं जांच कराई जाएगी।
मयंक अग्रवाल, जिला कलेक्टर दमोह
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