पथरिया - मध्यप्रदेश में शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए कई प्रकार की योजनाएं लागू कर करोड़ों की राशि फूंक दी जिसका उचित क्रियान्वयन न होने से लाभ आम समुदाय तक नहीं पहुंच पाया। जैसा कि हम दमोह जिले की पथरिया जनपद पंचायत से खेल ग्राउंड स्टेडियम एवं स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत बनाए गए सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के बारे में पहले ही खुलासा कर चुके हैं जहां खिलाड़ियों और ग्रामीणों के हितों को ध्यान में रखते हुए शासन-प्रशासन की करोड़ों रुपए की राशि पानी की तरह बहा दी गई लेकिन जनप्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी अभी तक निद्रा से नहीं जागे और अब ऐसा ही एक नया मामला ग्राम पंचायतों में बनाए गए मार्केट से जुड़ा हुआ सामने आया है जिसमें शासन प्रशासन के करोड़ों रुपए की बर्बादी कर दी गई लेकिन उसका लाभ आज भी आम आदमी तक नहीं पहुंच पा रहा है बता दें कि करीब 10 वर्ष पहले पथरिया जनपद अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में मार्केट के नाम पर दुकानों का निर्माण कराया गया था जिसमें कई ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए पानी की तरह बहाए गए दुकानों का निर्माण भी कराया गया लेकिन वह सभी दुकाने सिर्फ हाथी के बुत के समान खड़ी हुई दिखाई दे रही हैं जिनका लाभ आम आदमी को आज तक नहीं मिला न तो दुकानों की नीलामी प्रक्रिया हुई और न ही वह दुकानें किसी व्यावसायियों को किराएनामे पर उपलब्ध कराई गई।
ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें इस हेतु अन्य दुकानों का निर्माण प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायतों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में कराया गया था जिनमें कुछ ग्राम पंचायतों में दुकानें कंप्लीट है लेकिन उनकी नीलामी प्रक्रिया या फिर किराए पर उपलब्ध ना होने के कारण वह खाली पड़ी हुई है तो वही कई जगह दुकानें आज भी अधूरे निर्माण कार्य के रूप में खंडहर का रूप ले रही हैं तो वही इस संबंध में ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि यदि जनपद स्तर से इन दुकानों की नीलामी हो जाए या फिर किराए से मिल जाए तो ग्रामीण क्षेत्र के कई लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे एवं गांव के विकास में भी यह एक बड़ी उपलब्धि हमें मिल सकेगी लेकिन इनकी नीलामी प्रक्रिया ना होने के कारण यह दुकान खंडहर का रूप ले रही हैं तो कई जगह है शाम के समय शराबियों के लिए बैठने का एक अड्डा बन कर रह गई है तो कई जगह है कुछ दुकानों में लोग कब्जा करके रह रहे हैं या फिर उन्हें अपना निवास बना लिया है वही देखने में आता है कि कुछ ग्राम पंचायतों में तू उक्त योजना के तहत दुकान दुकानों का निर्माण ग्राम पंचायत के मुख्य चौराहों यात्राओं पर कराया गया है तो वहीं कई जगह दकानों के निर्माण में भारी अनियमितताएं बरती गई है।
अगर हम बात करें पथरिया जनपद की ग्राम पंचायत नदरई की तो वहां पर शासन की महत्वपूर्ण योजना के तहत कई दुकानों का निर्माण गांव से बाहर ऐसे स्थान पर कराया गया कि वहां अगर नीलामी प्रक्रिया के तहत दुकानें सस्ते दामों पर भी उपलब्ध कराईं जाएं तो शायद लोग लेने को तैयार नहीं होंगे लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि शासन के लाखों करोड़ों रुपए फूंकने से पहले अधिकारियों और जिम्मेदारों ने एक सही जगह का चुनाव दुकानों के निर्माण के समय क्यों नहीं किया क्यों यह महत्वपूर्ण कदम उठाने के पहले लोगों की राय नहीं ली गई और गांव से बाहर दुकानों का निर्माण कराया गया जहां लोग जाना ही नहीं चाहते एवं जिन ग्राम पंचायतों में दुकानें कंप्लीट हैं लोग लेना चाहते हैं वहां भी अधिकारियों की ढीला शाही के कारण सिर्फ इंतजार ही ग्रामीणों के हाथ लगता हुआ दिखाई दे रहा है।
जो भी हो लेकिन वास्तविक हितग्राहियों तक शासन की महत्वपूर्ण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते लोगों द्वारा जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
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